स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ् मय तप उच्यते। अर्थात स्वाध्याय करना ही वाणी का तप है । —गीता 17/15
पारमार्थिक चिकित्सालय
आश्रम में आश्रमवासियों, गरीबों, असहायों के लिए पं० श्रीराम शर्मा आचार्य पारमार्थिक चिकित्सालय है, कार्य कुशल एवं योग्य चिकित्सकों तथा सहायकों के द्वारा किया जाता है।